Monday, November 22, 2010

बवाल बहुत है!!!

तू खुश होता है कि नहीं,
पर तेरे ख्वाब बहुत हैं।
यादों की लड़ियों मे तेरे,
पिछले बीते साल बहुत हैं।

मैं सोचता था हवा का पहलु-
किस तरफ है!
पर जहां भी देखो -
आरजू के सवाल बहुत हैं।

कभी खिलखिलाती धूप में -
सूरज से लड़ता!
तो कभी जगमगाती रौशनी के -
घावों से डरता।

शख्स हर कोई अपनी -
अनोखी शख्सियत है रखता।
पर तेरे वजूद के सिक्के -
बेमिसाल बहुत हैं।

क्या फर्क पड़ गया जो लगा-
एक कदम हूं लडखडाया।
क्यूं तर्क देना खुद को!
क्या खोया और क्या पाया।

ये प्यार की दुनिया है,
जो सिर्फ प्यार से चलती है।
ये आशाओं की पतवार भी है,
जो सिर्फ आसार से चलती है।

लिखता लिखता मैं,
जाने कहां पहुंच गया।
सुनता सुनता तू,
फिर नए ख्वाब को बुन गया।

तेरी ये अदा अब -
सिर्फ तू ही जाने,
लेकिन तेरी इस अदा पर -
बवाल बहुत हैं।