लेखक, कवि व साहित्यकार
तो पहले भी कई हुए!
अपने-अपने विचारों से
सबने पन्ने भी हैं भरे!
स्कूल, कालेजों में,
हमने भी उन्हें पढ़ा,
पर क्या आज तक उनके
कहने पे कोई चला?
हर किसी ने अपनी ही बात का
अनुसरण है किया!
क्योंकि हर कोई अपनी
दिल की कहानी लिखता है!
अपनी ही सोच को ख़ाली कर
आने वाली सोच का स्वागत करता है!
ये उसकी एक छोटी सी
कोशिश ही तो होती है!
यूँ समझो अपने साथ बीते
लम्हों की बात होती है !
क्योंकि इन्सान की सोच का
तो कोई अंत नहीं!
अगर कोई लिखने लगे, तो
दिनकर, प्रेमचंद जी से भी कोई कम नहीं!
हर किसी के पास
सोच का एक बड़ा खजाना है!
यूं समझो सबने अपने विचारों से
इतिहास को रचते जाना है!
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शुभम